Latest review from Sharmila's Verse
अपने घर का सा अहसास ह उन हवाओं में ,मैडम व्यास के दिये संस्कारों की भीनी खुशबू है उस मिट्टी में।हम सब पूर्व छात्राओं की मेहनत के पसीने की महक है इस भवन के हर एक कोने में।आत्मा व्यप्त ह मैडम संतोष व्यास की यँहा की वनस्पति में। ,,एक सुकून मिलता हैं कदम रखते ही जैसे व्यास दीदी कर रही हो स्वागत उसी पुराने अंदाज़ में दोनो बांहें फैलाकर। चूमने को मेरे दोनो हाथ अपने हाथों में लेकर जैसे एक मां स्वागत करती ह अपनी बेटी का।
आज सुखद लग रहा है फिर से वही सब अपनापन लिए नए लोग पुरानी अभिव्यक्ति के साथ। मुझे प्यार ही अपनापन है मेरे इस पीहर जैसे विद्यामन्दिर वाले घर से।??☺️